Saturday 29 May 2010

गुलाबी गुलदस्ता....

दिलके गुलदस्तें में फुलोंको युहीं सजाकर ....
जब भी  याद  आती एक फूल तोड़कर....
फेकना हमारी तरफ ज़रा गालोंमें हँसाकर...
बता देना क्या मीला गुल्दास्तेसे सर फोड़कर ....

Sunday 16 May 2010

बुढा हो गया पुल...

बुढा हो गया पुल जीवन का बोझ लेकर....
खड़ा हैं अब भी  ओ  कंकाल का बोझ लेकर.....
जवानी में कितना काम किया होगा....
दिन रात लोगों को साथ दिया होगा....
अब जीता हैं खुद का भारी बोझ लेकर.....
बुढा हो गया पुल जीवन का बोझ लेकर....