Monday 26 July 2010

पानी में सब मस्त हैं...

मस्ती के पानी  में सब मस्त हैं...
अपनेही  खेल में  सब व्यस्त  हैं...
पानी का यह पुराना नाता हैं..
डुबोता हैं, तो कभी हसाता हैं...
कभी आसूं बनकर रुलाता हैं... 
कभी शांति से हमें खिलाता हैं....
उग्र होकर कभी करता फस्त हैं...
मस्ती के पानी में सब मस्त हैं...

Thursday 15 July 2010

दिखता हैं गिरजाघर...


हैरान मत होना यह तस्वीर देखकर..
कुछ खास  हैं, दिखता हैं एक  गिरजाघर...
ल़ोग आते हैं देखने देश विदेशसे..
तस्वीर आयीं हैं एक अलग सन्देशसे...
क्या दिखाती हैं ज़रा पहचान लेना..
इंसान खड़ा गगनमें ज़रा जान लेना..
देखो  इसे ज़रा  मन को रोककर...
कुछ खास हैं, दिखता हैं एक गिरजाघर...

Tuesday 13 July 2010

बरसते झरने के तले..



नहाना हैं बरसते झरने के तले..
लुटने मजा सब साथ साथ चले..
बराचुक्की  दिखाता हैं पानी का खेल..
यहाँ पर बनता हैं सभी का मेल...
यहाँ पहाडोंके अंदर झरने हैं  पले...
नहाना हैं बरसते झरने के तले..

Saturday 3 July 2010

सपने लिए वो पुल आता हैं.

कल  के  सपने  लिए वो   पुल आता  हैं...
शहरी जीवन को  एक नयी दिशा देता हैं...
दफ्तर से घरका फासला कम करने...
फसे हुए जाम का हौसला कम करने...
कहलाता हैं यह मेट्रो का पुल...
आया कम करने प्रदूषण और धुल..
हर कोई इसीके प्रतीक्षा में जीता हैं...
कल के सपने लिए वो  पुल आता हैं...