Wednesday, 23 December 2009

पढने दो इसे खुद भी पढो...

नन्ने  मुन्ने बच्चे,बंद कर तेरी मुट्ठी...
एक दिन स्कूल की भी होगी छुट्टी...
अभिभावक ज़रा करो इसकी कदर...
न लगे उसके खेल कूद को नज़र...
किस्मत में इसे मत छोडो...
पढने दो इसे खुद भी पढो...    

Thursday, 17 December 2009

रंगबिरंगी गुलाब में संसार हैं....


लाल गुलाब यानी  प्यार हैं.
पीले गुलाब यानी  यार हैं.
नीले गुलाब का नहीं पता.
हरा गुलाब तो नहीं होता.
रंगबिरंगी  गुलाब में संसार हैं.
जिसमे सिर्फ प्यारही प्यार हैं.

Wednesday, 16 December 2009

रास्ता साफ हो तेरा...

रोज का  काम मेरा...
रास्ता साफ हो तेरा...

जरा देखो इनका काम...
कोई तो दो इने इनाम...

रोज का येही हैं फेरा...
रास्ता साफ हो तेरा...

Friday, 11 December 2009

फिरते हैं नक़ाब पहनकर...

चेहरे पे चेहरा लगाकर,
फिरते हैं नक़ाब पहनकर.
दिल को देखो चेहरा नहीं,
पहचानो जो हैं सही.
बैठे हैं सब एहां सजधजकर.
फिरते हैं नक़ाब पहनकर.
चेहरे पे चेहरा लगाकर.  

Friday, 4 December 2009

येही हमारा किसान...


बैलों का जोड़ा लेकर,
चल पड़ा खेत पर.
भूका प्यासा रहता,
कहलाता अन्नदाता.
येही हमारा किसान,
हैं सबसे महान.

सचिन तुम हो महान.....


सचिन तुम हो महान.
रन बनाए दनादन.  
अपना बल्ला  घुमाया.  
दुनिया को चकाया.
लग गया अब पोस्टर.
निकला हमारा ब्लास्टर.

Monday, 30 November 2009

गांधीजी के तिन बन्दर...

गाँधीजी के तिन बन्दर,
एक जुबान करके अन्दर.
दुसरा कान दबाकर.
तीसरा आंख बंदकर.
बुरा बोलो ना,
न बुरा सुनो, न देख बुरा.
सुन, बोल देख खरा खरा.
झांक ले जरा मन के अन्दर.
गांधीजी के तिन बन्दर ...

सूरज की किरणें

सूरज की किरणें पेड़ोंको चीरकर
नया सबेरा लिए आती जमिंपर
नयी सुबह, नया जोश लेकर
करतेहैं काम होशमें आकर
शुभ हो हमारा दिन,ऐसा बीनकर
सूरज की किरणें पेड़ोंको चीरकर

Saturday, 28 November 2009

शायद कुत्ता भी...

शायद कुत्ता भी  हमसे रूठा।
कहता, खाना हैं झुटा।
कुत्ते, कमीने खाले यह खाना।
भूखा रहकर ना मार ताना।
महंगाई के मारसे मैं भी टुटा।
शायद कुत्ता भी हमसे रूठा।

माँ बेटा और हाथी

जरा देख मेरे साथी।
माँ, बेटा और हाथी।

तस्वीर तो यह दिखाती हैं।
प्रेम की भाषा सिखाती हैं।

जरा देख मेरे साथी।


मन्दिर लेकर फिरता हैं


मन्दिर लेकर फिरता हैं।
पैसा पैसा जमा करता हैं।
दूर रखो इस मन्दिर को।
जरा झांको अपने अन्दर को।
यह सब क्यूँ करता हैं।

मन्दिर लेकर फिरता हैं।
क्या फर्क हैं इसमें,
रथयात्रा निकालता, उसमे।
शायद ओ भी इनसे डरता हैं।
मन्दिर लेकर फिरता हैं।

सड़क को सोने दो....


मुझे भी समय ,और खाने दो।
रात को जरासा मुझे भी सोने दो।
मेरे पीठ पर खेलकर
मुझे रोल कर,
मुझे भी दवा पिने दो।
रातको जरासा मुझे भी सोने दो।