Saturday, 8 December 2012

इसलियें बना यह सेतु...


समन्दर पे भी हमने दिखा दिया हैं दम 
अब बांद्रा से वरली का रास्ता हुआ कम 
हमारा  एक ही हैं लक्ष्य और एक ही हेतु 
मंजिल हो पास  इसलियें बना यह सेतु 
जमीं नहीं अब समन्दर पे दौड़ रहे हैं हम 
अब बांद्रा से वरली का रास्ता हुआ कम 
समन्दर  पे भी हमने दिखा दिया हैं दम 

Sunday, 2 December 2012

सूरज मुखी...




सूरज को देख कर खिलती हैं सूरज मुखी
अगर सूरज ढल जाता हैं  तो होती हैं दुखी
सूरज मुख लेकर सूरज से करती है प्यार,
रात में  सूरज के इन्तजार में रहती हैं झुकी
सूरज को देख कर खिलती हैं सूरज मुखी 

Sunday, 11 November 2012

शुभ दीपावली मनातें हैं ...



चलो शुभ दीपावली मनातें  हैं 
धुँआ, पटाखे कम जलाते हैं 
अब एक शुभ काम करना हैं 
अब इसके बिनाही मानते हैं 
शुभ हो आपकी भी दीपावली 
पटाखों बिना काम चलाते हैं 
चलो शुभ दीपावली मनातें  हैं 




Thursday, 11 October 2012

मंदिर खड़ा हैं यहाँ ...


मंदिर खड़ा हैं यहाँ देखो कैसा
दिखता हैं अर्जुन के रथ जैसा
अश्व खिंच रहें हैं धर्म  क्षेत्र में,
राष्ट्रीय महामार्ग सात पे ऐसा
मंदिर खड़ा हैं  यहाँ देखो कैसा
दिखता हैं अर्जुन के रथ जैसा


Monday, 8 October 2012

सभीको हैं काम पर जाना...

शहर या गावं, सभीको हैं काम पर जाना
साथ में घरका भोजन बक्से में हैं लाना
शायद इसे ही हम सब कहते हैं जीना,
जब हर किसी के पास होता हैं खाना
शहर या गावं, सभीको हैं काम पर जाना 

'स्कूल' की गाड़ी में...

'स्कूल' की गाड़ी में बैठ जाना हैं
अब घर की ख़ुशी को पाना हैं
इस लियें चेहरें सब खिल उठतें,
चलो अब माँसे प्यार जताना हैं
चलो अब छुट गया आज 'स्कूल',
बातें प्यार से माँ को बताना हैं 
'स्कूल' की गाड़ी में बैठ जाना हैं

Sunday, 7 October 2012

मंजिल की एक तलाश


अब मंजिल की एक तलाश लिए
चलते हैं अपने काम की आस लिए
चलते हैं चार लोग दो पहियाँ लिए,
जीवन के संघर्ष का अहसास लिए
अब मंजिल की एक तलाश लिए  

Monday, 24 September 2012

जीवन की गाड़ी ...


जीवन की गाड़ी चलती, पटड़ी की  साँस लिए
कुछ लोग आतें जातें, मुसफिरों के  भेस लिए
कितने स्टेशन पे स्टेशन आते और जाते हैं,
सफर में हम चलतें, मिलन का अहसास लिए
जीवन के गाड़ी चलती, पटड़ी की साँस लिए
कुछ लोग आतें जातें, मुसफिरों का भेस लिए


"तलकाडू" नाम ...

"तलकाडू" नाम, रेत के देश में
पाते हैं लोग एक अलग वेश में
जो अपना अलग छाप छोड़ते हैं,
अब फिरते हैं पारंपरिक भेंस में
"तलकाडू" नाम, रेत के देश में
पाते हैं लोग एक अलग  वेश में



बालक का रूप..



बालक का रूप लगता हैं सच्चा 
कृष्ण रूप में लगता  हैं अच्छा 
चेहरें पे लिए सहज सरल भाव, 
कितना प्यारा लगता हैं बच्चा 
बालक का रूप लगता हैं सच्चा 
कृष्ण रूप में लगता  हैं अच्छा 

Thursday, 20 September 2012

बचपन के गुजरे पल


बचपन गुजर जाता हैं बड़ा बननेकी लिएँ चाहत
बड़ा बनने के बाद, काम से नहीं मिलती राहत
फिरसे याँद  आतें हैं वहीँ बचपन के गुजरे पल
जीते थे बेफिक्र, कैसा होगा वो आने वाला कल
फिरसे  याद आतें हैं वहीँ बचपन के गुजरे पल


ॐ नमो: गणपती


ॐ नमो: गणपती,  लंबोधरा  विनायक
तुमही हो हमारें दुःख दर्द के विनाशक
कृपा रहे अपने सभी भारत वासियों पर,
मिटा दो सब जो बन बैठे हैं खलनायक
ॐ नमो: गणपती,  लंबोधरा  विनायक
तुम ही  हो हमारें दुःख दर्द के विनाशक


Sunday, 19 August 2012

जीवन की कार...


जीवन में मकान बनाता  कोई और हैं
मकान को घर बनाता कोई और हैं
जीवन की कार धो डालता कोई और हैं
जीवन की कार को चलाता कोई और हैं
जीवन की कार बनाता कोई और हैं
जीवन की कार चलाता कोई और हैं

Sunday, 22 July 2012

मोबाइल फोन

हर कोई मोबाइल फोन में व्यस्त हैं
अपनों से अपनी बातों में मस्त हैं
अब उसे नाम नंबर नहीं रखना याद
वो फोन, सभी काम में जबरदस्त हैं
हर कोई मोबाइल फोन में व्यस्त हैं 

Sunday, 1 July 2012

खिलौना देखकर...



खिलौना देखकर चेहरा खिलता हैं
जब एक नया सपना मिलता हैं
यही मुस्कान, चेहरेपर सदा रहे
कुछ भी हो हमेशा यही अदा रहे
हवा के एक झूलें से फूल हिलता हैं
खिलौना देखकर चेहरा खिलता हैं 
जब एक नया सपना मिलता हैं

Thursday, 10 May 2012

हमें भी "स्कूल" जाना हैं.



नयें सपने नया रंग लेकर जीना हैं ...
जिंदगी जीने का अमृत  पीना हैं ...
चलो अब हमें भी "स्कूल" जाना हैं..
पढ़ लिख कर कुछ बनना हैं... 
अपनी मंजिल की तलाश के लिए...
कुछ कर नया कर दिखाना हैं..
चलो अब हमें भी "स्कूल" जाना हैं... 

Thursday, 26 January 2012

बन्दर भी....


देखो कितने शान से जीता हैं...
बन्दर भी स्लाइस पीता हैं...
जरा इसे चुनाव तो जितने दो, 
फिर लोगों का खून  भी पीता हैं ...