Wednesday, 20 July 2016

बेंगलुरु का हैं राजमहल...

राजभवन खड़ा हैं शान से 
खड़ा हैं वो अपने मान से 
हरियाली का वस्त्र पहनकर 
दुल्हन खड़ी हैं सजधजकर 
बेंगलुरु का हैं राजमहल 
इसे देख मन जाता हैं बहल 
खड़ा हैं जैसे अपने आन से 
खड़ा हैं वो अपने मान से 
राजभवन खड़ा हैं शान से 




तस्वीर में सजाते...


जब बीतता हैं एकेक पल 
जब वो बन जाता हैं कल 
बचपन की वो तस्वीर 
दिखती हैं अपनी तक़दीर 
यादों में सजाते हैं वो कल
तस्वीर में सजाते हैं वो पल  
तेजी से गुजरता हैं पल
जब वो बन जाता हैं कल

Monday, 18 July 2016

यह शहर कैसा चमकता हैं...

यह शहर कैसा चमकता हैं
अँधेरे में कैसे दमकता हैं
यहाँ इमारतें  कुछ बोलती हैं
प्रगति का राज़ खोलती हैं
शांघाई हैं इस शहर का नाम
चमकना ही हैं इसका काम 
यह शहर कैसा चमकता हैं
अँधेरे में कैसे दमकता हैं