Monday 28 June 2010

जीवन के स्टेशन पे...

जीवन के स्टेशन पे अपनों की  चाह में..
खड़ा  कोई  मुसाफिर  आपनों की राह में..
उसी  एक लम्हे  का  इन्तजार करते हुए..
वक्त काटकर किसी का इजहार करते हुए.. 
गाड़ियाँ भी खड़ी लिए अपनों को  बाहं में..
जीवन के स्टेशन पे अपनों की चाह में..