Saturday 3 July 2010

सपने लिए वो पुल आता हैं.

कल  के  सपने  लिए वो   पुल आता  हैं...
शहरी जीवन को  एक नयी दिशा देता हैं...
दफ्तर से घरका फासला कम करने...
फसे हुए जाम का हौसला कम करने...
कहलाता हैं यह मेट्रो का पुल...
आया कम करने प्रदूषण और धुल..
हर कोई इसीके प्रतीक्षा में जीता हैं...
कल के सपने लिए वो  पुल आता हैं...

2 comments:

विवेक रस्तोगी said...

पुल से पता नहीं कितने सपने पूरे होते हैं, और कितने टूतते हैं।

0 तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – १० [श्रीकालाहस्ती शिवजी के दर्शन..] (Hilarious Moment.. इंडिब्लॉगर पर मेरी इस पोस्ट को प्रमोट कीजिये, वोट दीजिये

Udan Tashtari said...

ओ को वो कहते तो शायद बेहतर होता...मात्र विचार हैं मेरे..बाकी बढ़िया..